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शनिवार, 1 सितंबर 2012

ग़ज़ल - ख़ुदाहाफ़िज़ कहती तो जाओ, जाने से पहले...


ख़ुदाहाफ़िज़ कहती तो जाओ, जाने से पहले... 
एक बार मुस्कराती तो जाओ, जाने से पहले... 
कहती थी अकसर रिश्ता निभाओगी हमेशा... 
वो फसाना सुनाती तो जाओ, जाने से पहले...
पीठ में खंजर मारा पर जान निकली नहीं...
मेरे सीने में उतारती जाओ, जाने से पहले...
ऐसे ही तड़पता रहूंगा गर न जान निकली...
मुझे मुक्त करती तो जाओ, जाने से पहले...
पहले ज़िंदा लाश था, अब लाश हो जाऊंगा...
मुझेफ़न करती तो जाओ, जाने से पहले...
अपना ख़याल रखोगीख़ुद करोगी हिफ़ा...
आखिरी वादा करती तो जाओ, जाने से पहले...
हरिगोविंद विश्वकर्मा

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